India Times 7

Homeअयोध्याजल को जीवन दो" के लिए मौन सत्याग्रह कर रहे अभिषेक सावंत...

जल को जीवन दो” के लिए मौन सत्याग्रह कर रहे अभिषेक सावंत को तालाब के भीतर जाने से प्रशासन ने रोका

अयोध्या।”जल को जीवन दो” के लिए मौन सत्याग्रह कर रहे अभिषेक सावंत को तालाब के भीतर जाने से प्रशासन ने रोकाअब 28 जुलाई तक मांगें पूरी न हुईं तो होगा अनिश्चितकालीन धरनाअयोध्या में भूजल सप्ताह के अवसर पर आज एक प्रतीकात्मक लेकिन गंभीर चेतावनी बनकर उभरे मौन सत्याग्रह को प्रशासन ने तालाब के भीतर होने से रोक दिया। सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक सावंत को डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के सामने स्थित उपेक्षित तालाब में जल के भीतर बैठने की अनुमति नहीं दी गई।इस प्रशासनिक रोक के बावजूद अभिषेक ने अपने संकल्प को नहीं तोड़ा — और तालाब के ठीक समीप स्थित पुलिया पर बैठकर एकल मौन सत्याग्रह किया। और कहा,> “जल को जीवन दो — यही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की भी मंशा है”जन-जागृति की यह पहल सफल रही — अब 28 जुलाई तक का अल्टीमेटमअभिषेक सावंत ने बताया कि इस शांत, गैर-राजनीतिक और जिम्मेदार नागरिक प्रयास को स्थानीय लोगों, छात्रों और बुद्धिजीवियों से सकारात्मक समर्थन मिला।उनका कहना है:> “प्रशासन ने मुझे जल में उतरने से रोका, लेकिन मेरे संकल्प को नहीं रोक पाया। यह सिर्फ मौन नहीं था — यह भविष्य के लिए चेतावनी है। अगर 28 जुलाई तक मेरी 5 मांगों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती है, तो मैं अनिश्चितकालीन धरने पर बैठूंगा।”ये हैं अभिषेक सावंत की 5 प्रमुख मांगें:1. तालाब का राजस्व अभिलेख सार्वजनिक किया जाए, जिससे उसकी वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके।2. तालाब को तीर्थ/आस्था स्थल का दर्जा दिया जाए, ताकि इसकी सांस्कृतिक पहचान संरक्षित हो।3. नगर निगम इसे ‘सरकारी जलस्रोत’ घोषित करे, जिससे उसकी सफाई और देखरेख की ज़िम्मेदारी तय हो सके।4. सफाई, जलनिकासी और चारदीवारी हेतु ठोस कार्ययोजना बनाई जाए।5. स्थानीय नागरिकों, विशेषज्ञों और प्रशासनिक प्रतिनिधियों की ‘तालाब संरक्षक समिति’ का गठन किया जाए।यह सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, एक संवेदनशील चेतावनी हैजब देशभर में भूजल सप्ताह औपचारिक कार्यक्रमों के जरिए मनाया जा रहा है, तब अयोध्या में एक नागरिक द्वारा किया गया यह प्रयास हमें यह याद दिलाता है कि जल संरक्षण सिर्फ भाषणों और बैनरों से नहीं होगा — इसके लिए धरातल पर ठोस निर्णय और कार्रवाई आवश्यक है।क्या प्रशासन अब भी मौन रहेगा?अभिषेक सावंत का यह प्रयास अयोध्या जैसे सांस्कृतिक नगर में एक नई चेतना का बीज बो रहा है। अगर प्रशासन और समाज साथ आकर इसे स्वीकारते हैं, तो यह तालाब जल संरक्षण और सामुदायिक सहभागिता का राज्य स्तरीय मॉडल बन सकता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular