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मायावती की प्रेसवार्ता: बीएसपी को मजबूत करने का संकल्प, रिश्तों से ऊपर पार्टी हित

स्टेट ब्यूरो चीफ -भूदेव प्रेमी

लखनऊ,: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की चार बार की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने आज लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी को मजबूत करने और सामाजिक परिवर्तन के अपने संकल्प को दोहराया। यह प्रेसवार्ता बीएसपी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम की जयंती के दो दिन बाद और होली के त्योहार के ठीक बाद आयोजित की गई। मायावती ने कहा कि कांशीराम की जयंती को पूरे देश में उनके अनुयायियों ने उत्साह और जोश के साथ मनाया, जिससे पार्टी को और मजबूती देने का उनका हौसला बढ़ा है। पार्टी हित सर्वोपरि, रिश्तों से ऊपर फैसले मायावती ने स्पष्ट किया कि बीएसपी और इसके आंदोलन के हित उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। उन्होंने कहा, “मेरे लिए मेरे भाई-बहन और रिश्ते-नाते केवल बहुजन समाज का एक हिस्सा हैं, इसके सिवाय कुछ नहीं। पार्टी के हित में जो भी ईमानदारी और निष्ठा से काम करेगा, उसे आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, चाहे वह मेरे रिश्तेदार हों या नहीं।” यह बयान हाल के दिनों में उनके भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से हटाने के फैसले के संदर्भ में भी देखा जा रहा है, जिसे उन्होंने रिश्तों से ऊपर पार्टी के हित को रखने के उदाहरण के तौर पर पेश किया। सामाजिक परिवर्तन का श्रेय कांशीराम को सुश्री मायावती ने उत्तर प्रदेश में 2007 में बीएसपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने को एक ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया। उन्होंने कहा, “2007 से पहले दलित और उपेक्षित वर्ग के लोग जातिवादी उच्च वर्गों के सामने न चारपाई पर बैठ सकते थे, न कुर्सी पर। लेकिन बीएसपी की सरकार ने इस स्थिति को बदला और सही मायनों में सामाजिक परिवर्तन लाया।” उन्होंने इसका पूरा श्रेय कांशीराम को देते हुए कहा कि यह बदलाव इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। प्रधानमंत्री पर निशाना, वक्फ बिल पर चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि वह अपनी गरीबी का जिक्र तो करते हैं, लेकिन दलितों और उपेक्षित वर्गों पर हुए जातीय भेदभाव को नहीं समझ सकते, जैसा कि उनके संतों, गुरुओं और महापुरुषों ने झेला। इसके साथ ही, उन्होंने संसद में चल रहे वक्फ बिल पर सत्ता और विपक्ष की राजनीति पर चिंता जताई। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मुद्दे को आम सहमति से सुलझाना बेहतर होगा और केंद्र सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। मायावती ने बताया कि 15 मार्च को कांशीराम की जयंती को उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित देशभर में उनके अनुयायियों ने बड़े उत्साह से मनाया। उन्होंने कहा, “इस जोश ने मेरे हौसले को कई गुना बढ़ाया है। मैं इसे कभी कमजोर नहीं पड़ने दूंगी।” उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों का आभार जताते हुए कहा कि यह संकल्प बीएसपी को हर स्तर पर मजबूत करेगा। मायावती की यह प्रेसवार्ता बीएसपी के भविष्य और उनकी नेतृत्व शैली को लेकर एक मजबूत संदेश देती है। उन्होंने साफ किया कि वह अपने जीवनकाल में पार्टी को कमजोर नहीं होने देंगी और इसे कांशीराम की विरासत के अनुरूप आगे बढ़ाएंगी। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है, खासकर तब जब विपक्षी दल बीएसपी को कमजोर करने की कोशिशों में लगे हैं। इंडिया टाइम 7 न्यूज़

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