मैनपुरी- सुदिती ग्लोबल एकेडमी में महत्वपूर्ण शैक्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय के शिक्षकों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। ज्ञातव्य है कि सुदिती एजूकेशनल एवं रिसर्च फाउण्डेशन के चेयरमैन डा. राम मोहन विभिन्न क्रिया कलापों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देते आ रहे हैं। इसी कड़ी में सुदिती एजूकेशनल एवं रिसर्च फाउण्डेशन के तत्वावधान में सुदिती ग्लोबल एकेडमी में आज एक महत्वपूर्ण शैक्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को नई शिक्षण पद्धतियों से अवगत कराना था। कार्यक्रम में सर्वप्रथम मुख्य प्रशिक्षक श्री राम ग्रुप ऑफ एजुकेशन के निदेशक डा. जे.के. सिंह, सुदिती एजूकेशनल एवं रिसर्च फाउण्डेशन के चेयरमैन डा. राम मोहन, विद्यालय की प्रशासनिक प्रधानाचार्य डा. कुसुम मोहन, प्रबन्ध निदेशक डा. लव मोहन, उपप्रधानाचार्य जय शंकर तिवारी, कैम्पस कोऑर्डीनेटर अल्का दुबे, प्राइमरी कोऑर्डीनेटर प्रणिता सिंह ने ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प् अर्पित करते हुए दीप प्रज्ज्वलन किया। इसके उपरान्त ने सुदिती एजूकेशनल एवं रिसर्च फाउण्डेशन के चेयरमैन डा. राम मोहन, विद्यालय की प्रशासनिक प्रधानाचार्य डा. कुसुम मोहन, प्रबन्ध निदेशक डा. लव मोहन, उपप्रधानाचार्य जय शंकर तिवारी डा जे के सिंह का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत सत्कार किया।डा. जे.के. सिंह ने शिक्षकों को नवीन शिक्षण पद्धतियों, सीखने के परिणामों और जीवन कौशल के विषय में गहन प्रशिक्षण प्रदान किया। उन्होंने आधुनिक शिक्षण तकनीकों, छात्र-केंद्रित शिक्षण विधियों और डिजिटल माध्यमों के प्रभावी उपयोग पर विशेष बल दिया। प्रशिक्षण सत्र में कक्षा प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी चर्चा की गई। डा. सिंह ने शिक्षकों को छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को समझने, सकारात्मक शिक्षण वातावरण के निर्माण और प्रभावी अनुशासन बनाए रखने की रणनीतियों के बारे में मूल्यवान सुझाव दिए।विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. राम मोहन ने छात्र मार्गदर्शन पर एक विस्तृत संबोधन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, आज के बदलते परिवेश में छात्रों का मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। हमारे शिक्षकों को न केवल पाठ्यक्रम पढ़ाना है, बल्कि प्रत्येक छात्र के व्यक्तित्व को समझते हुए उनका सही दिशा में मार्गदर्शन करना है। उन्होने विशेष रूप से छात्रों की मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक आवश्यकताओं पर ध्यान देने का आग्रह किया। डॉ. राम मोहन ने आगे बताया कि शिक्षक न केवल छात्रों की शैक्षिक प्रगति की निगरानी करें, बल्कि उनके समग्र विकास में सहायक बनें। शिक्षक छात्रों के साथ नियमित बैठकें करें, उनकी समस्याओं को सुनें और उनके समाधान में मदद करें। उन्होंने शिक्षकों को छात्रों के करियर मार्गदर्शन पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया। वर्तमान समय में छात्रों के सामने अनेक करियर विकल्प हैं। हमारा दायित्व है कि हम उन्हें उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार सही मार्गदर्शन प्रदान करें। इसके लिए शिक्षकों को स्वयं भी विभिन्न करियर विकल्पों की जानकारी रखनी होगी।कार्यक्रम के दौरान निदेशक डॉ. लव मोहन ने भी शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विद्यालय में डिजिटल तकनीक का प्रयोग बढ़ाया जाएगा, जिससे छात्रों को आधुनिक शिक्षण का लाभ मिल सके। प्रशासनिक प्राचार्य डॉ. कुसुम मोहन ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण में सीखी गई नवीन तकनीकों का प्रयोग अपनी कक्षाओं में करें।कार्यक्रम के समापन पर डा राम मोहन ने ने डा जे.के. सिंह को प्रतीक चिन्ह भेंट करते हुए उनका विशेष धन्यवाद किया और इस ज्ञानवर्धक सत्र की सराहना की। शिक्षकों ने भी इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण उनके लिए अत्यंत लाभदायक रहा और वे इससे प्राप्त ज्ञान का उपयोग छात्रों के बेहतर भविष्य निर्माण में करेंगे।