मैनपुरी सुदिती ग्लोबल एकेडमी,में भक्ति, आनंद और संस्कृति से ओतप्रोत दीपोत्सव समारोह का आयोजन अत्यंत गरिमामय वातावरण में किया गया। विद्यालय का प्रांगण सैकड़ों दीपों की उज्ज्वल रोशनी से आलोकित था। पुष्पों की सजावट, रंगोलियों और दीयों की पंक्तियों से पूरा परिसर मानो अयोध्या नगरी में परिवर्तित हो गया।कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. राम मोहन एवं प्रशासनिक प्रधानाचार्य डॉ. कुसुम मोहन द्वारा श्री लक्ष्मी-गणेश एवं राम दरबार पूजन से हुआ। सभी ने विधिवत तिलक एवं माल्यार्पण कर आरती की और भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण एवं भक्त हनुमान के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर समृद्धि, शांति और धर्मपालन का आशीर्वाद प्राप्त किया। पूजन स्थल पर सजे भव्य राम दरबार में दीपों की लौ, पुष्पों की सुगंध और वैदिक मंत्रोच्चारण से वातावरण भक्तिमय बन गया।पूजन के समय विद्यार्थियों और शिक्षकों ने “ॐ जय लक्ष्मी माता”, “जय गणेश देवा” और “श्रीराम जय राम जय जय राम” जैसे भक्ति गीतों के साथ श्रद्धा और उल्लास से आरती की। इस अवसर पर उपस्थित सभी अध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने माँ लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और भगवान राम से सत्य, मर्यादा एवं धर्मनिष्ठा के पथ पर चलने की कामना की।इसके उपरांत विद्यालय के प्रार्थना सभागार में छात्रों द्वारा “राम-भरत मिलाप” का भावपूर्ण मंचन किया गया, जिसने सभी दर्शकों के हृदयों को छू लिया। मंच पर सजे भव्य राम दरबार में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान के रूप में सुसज्जित विद्यार्थियों ने अपने अभिनय से अद्भुत धार्मिक वातावरण का निर्माण किया। जब भरत जी, श्रीराम के चरणों में गिरकर अयोध्या आगमन पर सभी परिवारीजनों एवं नगरवासियों के साथ उनका स्वागत करते हैं और उनके प्रति अपना अटूट भ्रातृ प्रेम व्यक्त करते हैं, तो पूरा सभागार भावविभोर हो उठा।प्रधानाचार्य डॉ. राम मोहन ने अपने उद्बोधन में कहा “भगवान श्रीराम का जीवन मानवता के लिए एक अमर प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने जीवन में सत्य, मर्यादा और धर्म का पालन करते हुए आदर्श चरित्र प्रस्तुत किया। भरत और राम का मिलन हमें सिखाता है कि जीवन में प्रेम, त्याग और निष्ठा ही सच्ची सफलता के आधार हैं। दीपावली का यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीपक की ज्योति उसे मिटा सकती है।”प्रशासनिक प्रधानाचार्य डॉ. कुसुम मोहन ने कहा “दीपावली केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मप्रकाश का प्रतीक है। जिस प्रकार हम अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, उसी प्रकार हमें अपने मन को भी सच्चाई, करुणा और विनम्रता से प्रकाशित करना चाहिए। लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ राम दरबार पूजन का यह आयोजन सिखाता है कि भक्ति और नीति, दोनों का संतुलन ही जीवन को सुंदर बनाता है। आज के इस आयोजन में विद्यार्थियों ने जिस अनुशासन और भक्ति भाव का प्रदर्शन किया है, वह सुदिती परिवार की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है।”पूरे विद्यालय को छात्रों ने दीपों एवं पुष्पों से सजाया। “स्वच्छता और प्रकाश” विषय पर आकर्षक प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। अंत में सामूहिक आरती, प्रसाद वितरण और “शुभ दीपावली” की मंगलकामनाओं के साथ समारोह का समापन हुआ।दीपों की उजास, भक्ति के सुर और संस्कारों की सुगंध से सजा यह आयोजन सुदिती ग्लोबल एकेडमी के लिए न केवल एक सांस्कृतिक पर्व रहा, बल्कि यह विद्यार्थियों के लिए आस्था, परंपरा और मानवता के आदर्शों को आत्मसात करने का संदेश लेकर आया।