मैनपुरी- सुदिती एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा सार्वभौमिक मानवीय मूल्य विषय पर सुदिती ग्लोबल एकेडमी मैनपुरी में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा में नैतिक और मानवीय मूल्यों का समावेश कर अध्यापक-अध्यापिकाओं को संवेदनशील, जिम्मेदार और मूल्य आधारित नागरिक बनाना था। कार्यक्रम की शुरुआत सुदिती सुदिती एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन की चेयर पर्सन डा. कुसुम मोहन एवं प्रबंध निदेशक डॉ. लव मोहन द्वारा मुख्य वक्ताओं, डॉ. युधिष्ठिर जी और डॉ. केशव देव जी, का फूलों की कलियों और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत करने से हुई। डॉ. युधिष्ठिर जी ने अपने संबोधन में सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, सहानुभूति, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और सम्मान केवल आदर्श नहीं हैं, बल्कि एक संतुलित और शांतिपूर्ण समाज की आवश्यकता हैं। उन्होंने शिक्षकों को प्रेरित किया कि वे अपने कार्यों से उदाहरण प्रस्तुत करें, क्योंकि शिक्षक का आचरण छात्रों पर गहरा प्रभाव डालता है।डॉ. केशव देव जी ने कक्षाओं में इन मूल्यों को व्यावहारिक रूप से लागू करने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ष्हमें इन मूल्यों को एक अलग विषय के रूप में नहीं बल्कि रोज़मर्रा की पढ़ाई में शामिल करना चाहिए। समूह गतिविधियों से टीम वर्क को बढ़ावा देने से लेकर सहानुभूति सिखाने वाली चर्चाओं तक, इन मूल्यों को छात्रों के जीवन का हिस्सा बनाने के अनेक तरीके हैं।दोनों वक्ताओं ने आत्म-जागरूकता के महत्व पर जोर दिया और शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अपने आचरण और दृष्टिकोण को छात्रों के लिए प्रेरणादायक बनाएं। कार्यशाला में विचार-विमर्श, केस स्टडी, और समूह गतिविधियां शामिल थीं। एक विशेष सत्र में, कहानी कहने के माध्यम से सहानुभूति और विविधता के सम्मान को सिखाने के प्रभावी तरीके बताए गए। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और इन मूल्यों को अपने शिक्षण में लागू करने की प्रतिबद्धता जताई। डॉ. लव मोहन ने अपने समापन भाषण में मुख्य वक्ताओं और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। समापन समारोह में, डॉ. लव मोहन ने मुख्य वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट किए। उन्होंने कहा, यह छोटा सा तोहफा आपके गहन ज्ञान और प्रेरणा का आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। आपने हमें जो मार्गदर्शन दिया है, वह शिक्षकों को भविष्य निर्माण में सक्षम बनाएगा।सुदिती एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन की यह पहल शिक्षकों और समाज के लिए एक प्रेरणादायक कदम मानी गई। प्रतिभागियों ने इस तरह की कार्यशालाओं को नियमित रूप से आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।