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पॉली हाउस खेती से बढ़ रही है किसानों की आमदनी, बेमौसम सब्जियां व फूल हो रहे तैयार

स्टेट हेड व्योरो चीफ भूदेव प्रेमी

बदायूँ : प्रदेश में किसान अब पॉली हाउस तकनीक अपनाकर बेमौसम सब्जियों और फूलों की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। पॉली हाउस एक विशेष प्रकार की ढकी हुई संरचना होती है, जिसमें फसलों को मनचाहा तापमान और वातावरण दिया जाता है। इससे फसलें मौसम पर निर्भर नहीं रहतीं और पूरे साल उत्पादन लिया जा सकता है। पॉली हाउस जी.आई. पाइप, बांस या लकड़ी से बनाया जाता है और इसे सफेद पारदर्शी प्लास्टिक चादर से ढका जाता है। यह प्लास्टिक 70 से 80 प्रतिशत तक सूर्य का प्रकाश अंदर आने देती है, जिससे पौधों की बेहतर वृद्धि होती है। जी.आई. पाइप से बने पॉलीहाउस 20 से 25 साल तक टिकाऊ रहते हैं। इस तकनीक से खीरा, संकर टमाटर, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां और गुलाब, जरबेरा, लीलियम, कार्नेशन जैसे फूल बड़ी मात्रा में उगाए जा रहे हैं। पॉलीहाउस में फसलें कीड़ों, रोगों और खराब मौसम से काफी हद तक सुरक्षित रहती हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ जाती हैं। सामान्य खेती की तुलना में 5 से 10 गुना तक अधिक उपज मिलती है।हालांकि पॉलीहाउस बनवाने में शुरुआती लागत ज्यादा आती है, लेकिन व्यावसायिक खेती में यह बेहद लाभकारी साबित हो रही है। शहरी और सीमांत किसान इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं। प्रदेश सरकार भी संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं के तहत किसानों की मदद कर रही है।कुल मिलाकर, पॉली हाउस खेती से प्रदेश के किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग कर अधिक उत्पादन और अतिरिक्त आमदनी हासिल कर रहे हैं।

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