संवाददाता -भूदेव प्रेमी
नई दिल्ली/पहलगामजम्मू-कश्मीर के शांतिप्रिय पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।” प्रधानमंत्री का यह बयान उन तमाम देशवासियों की भावनाओं को आवाज़ देता है, जो हर आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई की उम्मीद रखते हैं। सरकार की ओर से सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और तलाशी अभियान जारी है।विपक्ष का सरकार पर तीखा हमलाहालांकि, इस घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सुरक्षा में चूक का गंभीर आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, “हर बार हमला होता है, फिर वही बयान आते हैं। सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं? क्या हमारी खुफिया एजेंसियों की सूचना तंत्र में चूक हो रही है?” टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर सरकार को घेरते हुए लिखा, “हर आतंकी हमला केवल पाकिस्तान को दोष देकर नहीं रोका जा सकता। यह समय है कि केंद्र सरकार अपनी जम्मू-कश्मीर नीति की असल समीक्षा करे।” NCP के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भी कहा, “हम देश के साथ हैं, लेकिन यह जिम्मेदारी सरकार की है कि वह ऐसे हमलों को रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाए, न कि केवल बयानबाज़ी करे।” जनभावनाओं में उबाल, सख्त कार्रवाई की मांग इस हमले ने केवल राजनीतिक गलियारों में ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के बीच भी आक्रोश पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर कितनी और कुर्बानियां देने के बाद निर्णायक कार्रवाई होगी? जहां एक ओर प्रधानमंत्री ने कड़ी चेतावनी दी है, वहीं विपक्ष ने सरकार से जवाबदेही की मांग की है। यह हमला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम आतंकी साजिशों को रोकने में पूरी तरह सक्षम हैं?निष्कर्ष:यह घटना हमें बताती है कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई केवल शब्दों से नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस नीति, खुफिया तंत्र की मजबूती और राजनीतिक एकजुटता से लड़ी जानी चाहिए। अब वक्त आ गया है कि राजनीति से ऊपर उठकर, देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।