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नारकीय जीवन जीने को विवश लालापट्टी के ग्रामीण

टूटी सड़क के चलते वाहन से चलना तो दूर पैदल हुआ दुश्वार

मिल्कीपुर -अयोध्या मिल्कीपुर ब्लॉक क्षेत्र का एक छोटा-सा गांव अंजरौली पूरे लालापट्टी आज भी उस बुनियादी सुविधा से नहरूम है। यहां से विकास कोसों दूर है। यहां वर्षों तक सड़क नहीं थी, और जब लगभग 15 साल पहले एक खड़ंजा मार्ग बना, तो लोगों को उम्मीद जगी कि अब विकास के चलते बदलाव आ जाएगा। लेकिन ग्रामीणों की उम्मीद पर पानी फिर गया और खड़ंजा मार्ग झाड़ियों तथा गड्ढों में तब्दील होकर कचरे और कीचड़ से पट गया।* बताते चने की मिल्कीपुर ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत बड़ी ग्राम पंचायतके रूप में अंजरौली आज भी *विद्यमान है जिसका एक छोटा सा पुरवा लालापट्टी है। उस पुरवे को जाने वाली सड़क सिर्फ कागज़ों में ही साफ़-सुथरी है। जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि पूरी सड़क झाड़ियों और घास से इस कदर ढँक चुकी है कि लोगों को यह याद ही नहीं रहता कि कभी यहां से पक्की सड़क गुजरी थी। जगह-जगह सड़क टूटी हुई है, और झाड़ियाँ इतनी घनी हैं कि दिन में भी रास्ता पार करना मुश्किल हो जाता है।*गांव के लोग बताते हैं कि सड़क बनी तो हमें लगा कि अब गांव के गरीब लोगोंके बीमार होने पर एंबुलेंस आ सकेगी, बच्चे स्कूल आसानी से जा सकेंगे, पर अब *हालत और भी खराब हो गई है। झाड़ियों में साँप-बिच्छू सहित विषैले जानवर रहते हैं। ग्रामीण बारिश में तो डर के मारे निकलते भी नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के लोग कई बार प्रधान से कहा गया लेकिन न कोई सफाई कर्मचारी आता है, न ही कोई मरम्मत होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों को झाड़ियों के बीच से होकर निकलना पड़ता है, जो बेहद खतरनाक है।*ग्राम वासी युवा सुरजीत पाण्डेय और धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि उन्होंने कई बार ब्लॉक कार्यालय में शिकायत की, लेकिन *अधिकारी या तो जांच के नाम पर टाल देते हैं अथवा यह कहकर बात को खत्म कर देते हैं कि “बजट नहीं आया है। गांव के लोगों ने पंचायत में भी इस मुद्दे को कई बार उठाया, लेकिन* समाधान आज तक नहीं हो सका। बरसात के मौसम में तो सड़क पूरी तरह कीचड़ और जलभराव से भर जाती है। *झाड़ियों की वजह से न तो वाहन चल सकते हैं, न ही पैदल चलना सुरक्षित है। महिलाओं और बुजुर्गों को अस्पताल पहुंचाने में भारी दिक्कत होती है। यहां तक कि एंबुलेंस वाले इस रास्ते से आने से मना कर देते हैं।उन्होंने बताया कि गांव में तैनात सफाई कर्मचारी के आज तक पुरवे में दर्शन तक नहीं हुए हैं। लालापटी गांव के लोग अब फिर से उसी मांग को लेकर खड़े हैं “सड़क नहीं, तो विकास नहीं ”।

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